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आज हम आपको बहुत ही  कीमती औषधि के बारे ंंमे बता बता रहे है जिसकी किमत सोने से भी ज्यादा है। जिसे यारसगुम्बा कहते है।  है।   है। यारासगुम्बा को हिमालयी वियाग्रा भी कहा जाता है, जो इसके एफ़्रोडायसिक गुणों के लिए जाना जाता है। इसके अलावा, इसके कई अन्य स्वास्थ्य लाभ हैं। हिमालय में बर्फ पिघलने के साथ, नेपाल के सैकड़ों ग्रामीण दुर्लभ जड़ी बूटियों, यारासगुम्बा को इकट्ठा करने के लिए चोटी की ओर भागते हैं। यर्सगुम्बा क्या है यर्सगुम्बा (कॉर्डिसप्स सिनेन्सिस) दुनिया में सबसे महंगा जड़ी बूटी माना जाता है, इसमें से एक किलो 10,000 डॉलर के लायक है! हालांकि, यर्सगुम्बा एक अजीब जड़ी बूटी है।  क्या यह इतना महंगा बनाता है? ये जीनस थिटारोड्स (हेपियलस) का कैटरपिलर पिमा बनने से लगभग पांच साल पहले हिमालय और तिब्बत के पठारों में भूमिगत रहता है। अपने लार्वा चरण के दौरान, यह ओफियोकार्डिसिपिटैसियस जीनस के कवक द्वारा हमला किया जाता है जो मार्सिलियम के साथ अपने शरीर के क्रेटर को स्थिर करके लार्वा को मारता है। कवक के कैटरपिलर के शरीर में प्रवेश करने के बाद, यह कैटरपिलर से ऊर्ज
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MUSCULAR DYSTROPHY(स्नायु डाइस्ट्रोफी )

MUSCULAR DYSTROPHY  https://www.facebook.com/purannirala007                  स्नायु डाइस्ट्रोफी एक प्रकार की विरासत वाली विकार है जिसमें मांसपेशियों की कमजोरी और मांसपेशियों के ऊतकों को बर्बाद किया जाता है और समय के साथ खराब हो जाता है। इसे विरासत में मिलीयोपैथी या एमडी के रूप में भी कहा जाता है। यद्यपि यह स्नायविक डिस्ट्रॉफी विरासत में मिली शर्तों का एक समूह है, जो बचपन या वयस्कता में हो सकता है और वे बेकर स्नायु डिस्ट्रॉफी, एमरी-ड्रेइफस पेशी डिस्ट्रोफी, ड्यूसेन पेशीय विकृति, फैसिओस्केपुलोहिमेंरल स्नायु डिस्ट्रोफी, लिम्ब-कंठधारा पेशी डिस्ट्रोफी, मायोटोनिक डिस्ट्रोफी और मायोटोनिया हैं जन्मजात ये विभिन्न कारकों के आधार पर किस्म हैं। यद्यपि विभिन्न प्रकार के पेशीय डाइस्ट्रॉफी के लक्षण भिन्न हो सकते हैं, कुछ मांसपेशियों या मांसपेशियों के कुछ समूह प्रभावित हो सकते हैं पेशी में कमी के अलावा, मानसिक मंदता, मांसपेशियों के विकास संबंधी देरी और एक या अधिक मांसपेशियों के समूहों की कठिनाई, पलक झिलमिलाना, डरोउलिंग, लगातार गिरने, मांसपेशियों के थोक और मांसपेशियों के आकार

WATER THERAPY(जल चिकित्सा )

आयुर्वेद में पानी पीने का सही समय और मात्रा बताई गई है। अगर पानी को सही समय पर और सही मात्रा में पिया जाए तो यह दवा का काम करता है। लेकिन अगर गलत तरीके से पिया जाए या गलत समय पर गलत मात्रा में पिया जाए तो यह नुकसान भी पहुंचा सकता है। आईए जानते हैं कि कब और कितना पानी पीने से कौन-सी बीमारियों से बचा जा सकता है। दो गिलास पानी सुबह उठकर बैठकर थोडा थोडा करके पिए,   क्या होगा –  बॉडी डिटोक्स होगी और किडनी हेल्दी रहेगी  एक गिलास पानी एक्सरसाइज़ करने से पहले पिए क्या होगा –   इससे एनर्जी लेवल बना रहेगा, आप जल्दी नहीं थकेंगे दो गिलास पानी एक्सरसाइज़ करने के बाद जरुर पिए क्या होगा –   बॉडी हाईड्रेट रहेगी एक गिलास पानी चाय या कॉफ़ी पीने से पहले जरुर पिए   क्या होगा  – एसिडिटी नहीं होगी एक गिलास पानी नहाने से पहले पिए क्या होगा –  हाई बी. पी. कण्ट्रोल होगा खाना खाने से 30 मिनट पहले एक गिलास पानी पिए क्या होगा –   ऐसा करने से डाइजेशन अच्छा होगा मात्र 1 घुट खाना खाने के दौरान क्या होगा –  इससे आपका खाना सही सी पचेगा एक गिलास पानी शाम के खाने से पहले क्या होगा

त्रिफला कैसे बनाये और उसके फायदे के बारे में जाने

20-20 साल पुरानी कब्ज भी ठीक करता है यह तीन फलों से बनाया त्रिफला चूर्ण मित्रो आयुर्वेद के अनुसार हमारे शरीर मे जितने भी रोग होते है वो त्रिदोष: वात, पित्त, कफ के बिगड़ने से होते है । वैसे तो आज की तारीक मे वात,पित कफ को पूर्ण रूप से समझना सामान्य वुद्धि के व्यक्ति के बस की बात नहीं है । लेकिन आप थोड़ा समझना चाहते है तो इतना जान लीजिये।  सिर से लेकर छाती के मध्य भाग तक जितने रोग होते है वो कफ के बिगड़ने के कारण होते है ,और छाती के मध्य से पेट खत्म होने तक जितने रोग होते है तो पित्त के बिगड़ने से होते है और उसके नीचे तक जितने रोग होते है वो वात (वायु) के बिगड़ने से होते है । लेकिन कई बार गैस होने से सिरदर्द होता है तब ये वात बिगड़ने से माना जाएगा । ( खैर ये थोड़ा कठिन विषय है ) जैसे जुकाम होना, छींके आना, खांसी होना ये कफ बिगड़ने के  है  तो ऐसे रोगो मे आयुवेद मे तुलसी लेने को कहा जाता है क्यों कि तुलसी कफ नाशक है. ऐसे ही पित्त के रोगो के लिए जीरे का पानी लेने को कहा जाता है क्योंकि जीरा पित नाशक है । इसी तरह मेथी को वात नाशक कहा जाता है लेकिन मेथी ज्यादा लेने से ये वात तो संतुलित ह
सुबह उठकर खाएंगे अंकुरित काले चने, तो बॉडी पर होंगे ये 10 असर   काले चने सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। इनमें बड़ी मात्रा में कार्बोहाइड्रेट, विटामिन्स, मिनरल्स, प्रोटीन और फाइबर्स होते हैं। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेद के डॉ. सी. आर. यादव का कहना है कि चने को अंकुरित करके सुबह खाने से इनका फायदा बढ़ जाता है। कैसे बनाएं और खाएं अंकुरित चने… ? सुबह एक मुट्ठी काले चनों को अच्छे से धोकर साफ पानी में भिगो दें। रात में सोने से पहले इनका पानी निकालकर इन्हें एक साफ गीले कपड़े में लपेटकर हवा में रख दें। अगले दिन सुबह तक ये चने अंकुरित हो जाएंगे। इन चनों को सीधे न खाकर इन्हें हल्के तेल में थोड़ा फ्राई करना ज्यादा बेहतर रहता है। चाहें तो इनमें बारीक कटी हुई सलाद मिला लें। इन्हें अच्छी तरह चबा-चबाकर खाना चाहिए। आइए जानते हैं इसके क्या फायदे हैं  आइए जानते हैं इसके क्या फायदे हैं। मिलेगी ताकत – अंकुरित काले चने ताकत और अनिल जी का बहुत बड़ा सोरस है रेगुलर खाने से कमजोरी दूर होती है बढ़ेगी फर्टिलिटी – रोज सुबह अंकुरित काले चने शहद के साथ लेने से फर्टिलिटी बढती है बेहतर स्पर्म क्वा
खोये हुए मर्दाना शक्ति को वापस पाए https://www.facebook.com/purannirala007/ आयुर्वेद में सेहत का खजाना छुपा है। अक्सर ही लोग नादानियों के चलते शारीरिक शक्ति व क्षमता खो देते हैं, ऐसे में घबराने की जरूरत नहीं है, हम आपको ऐसी ताकतवर खुराक की रेसिपी बताने जा रहे हैं जिसे खाने से आपमें शक्ति लौटेगी। यकीन मानिए राजा महाराजा भी इस चीज को खाया करते थे। यहां पढ़ें उड़द दाल के लड्डू बनाने की आसानी रेसिपी – सामग्री – उड़द दाल – 400 ग्रसम घी – 400 ग्राम छोटी इलाइची – 10 पिस्ते – 10 ग्राम काजू, किशमिश, बादाम – 100 ग्राम बूरा या मिसी हुई मिश्री – 300 से 400 ग्राम ऐसे बनाएं – उड़द दाल को साफ कर तीन से चार घंटे के लिए पानी में भिगो दें। – भीगी हुई दाल को हल्का मोटा पील सें और कढ़ाई में देसी घी में लगातार चमचे से चलाते हुए भून लें। – दाल को ब्राउन होने तक भूनें, इसमें थोड़ा समय लग सकता है। – अब गैस बंद कर दें और भुनी हुई दाल में बूरा मिला लें। – इसमें बारीक कटे काजू, बादाम, पिस्ता, इलाइची पाउडर डाल कर मिलाएं। – अब लड्डू बनाने के लिए मिश्रण तैयार है। मिश्रण को दोनों हाथों में ल