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आज हम आप सबको नींबू के कुछ खास उपयोग के बारे में बताते है जिसे जानकर आपको हैरानी होगी https://m.facebook.com/?hrc=1&refsrc=http%3A%2F%2Fh.facebook.com%2Fhr%2Fr&_rdr नींबू सिर्फ खाने में स्वाद बढ़ाने का ही काम नहीं करता बल्कि इसके और भी कई फायदे हैं। नींबू अपने आप में एक फल होने के साथ-साथ औषधि भी है। नींबू क्लीनिंजिंग प्रोडक्ट्स का बहुत अच्छा सब्सटिट्यूट बन सकता है। नींबू की एसिडिक प्रोपर्टी जिद्दी दाग छुड़ाने के साथ ही स्मेल से भी छुटकारा दिलाती है। इसके अलावा इससे कुकिंग से संबंधित समस्याएं भी दूर होती है। ऐसे में हम आपको बता रहे हैं नींबू से होने वाले कई फायदे जिनसे यह आपके लिए बहुत ही उपयोगी साबित हो सकते हैं... - नींबू को आधा काटकर उसमें 10 लौंग चुभोकर लगाकर घर के कोने में रख दें। इससे मच्छर नहीं जाएंगे। - घर में जहां से चीटियां गुजरती है वहां नींबू का रस छिड़क दें। नहीं आएंगी। - कपड़ों से पसीने के दाग नहीं जा रहे तो वहां पर नींबू का रस लगाकर घिसें। दाग निकल जाएगा। - सफेद कप...

त्रिफला कैसे बनाये और उसके फायदे के बारे में जाने

20-20 साल पुरानी कब्ज भी ठीक करता है यह तीन फलों से बनाया त्रिफला चूर्ण मित्रो आयुर्वेद के अनुसार हमारे शरीर मे जितने भी रोग होते है वो त्रिदोष: वात, पित्त, कफ के बिगड़ने से होते है । वैसे तो आज की तारीक मे वात,पित कफ को पूर्ण रूप से समझना सामान्य वुद्धि के व्यक्ति के बस की बात नहीं है । लेकिन आप थोड़ा समझना चाहते है तो इतना जान लीजिये।  सिर से लेकर छाती के मध्य भाग तक जितने रोग होते है वो कफ के बिगड़ने के कारण होते है ,और छाती के मध्य से पेट खत्म होने तक जितने रोग होते है तो पित्त के बिगड़ने से होते है और उसके नीचे तक जितने रोग होते है वो वात (वायु) के बिगड़ने से होते है । लेकिन कई बार गैस होने से सिरदर्द होता है तब ये वात बिगड़ने से माना जाएगा । ( खैर ये थोड़ा कठिन विषय है ) जैसे जुकाम होना, छींके आना, खांसी होना ये कफ बिगड़ने के  है  तो ऐसे रोगो मे आयुवेद मे तुलसी लेने को कहा जाता है क्यों कि तुलसी कफ नाशक है. ऐसे ही पित्त के रोगो के लिए जीरे का पानी लेने को कहा जाता है क्योंकि जीरा पित नाशक है । इसी तरह मेथी को वात नाशक कहा जाता है लेकिन मेथी ज्यादा लेने से ये वा...

MUSCULAR DYSTROPHY(स्नायु डाइस्ट्रोफी )

MUSCULAR DYSTROPHY  https://www.facebook.com/purannirala007                  स्नायु डाइस्ट्रोफी एक प्रकार की विरासत वाली विकार है जिसमें मांसपेशियों की कमजोरी और मांसपेशियों के ऊतकों को बर्बाद किया जाता है और समय के साथ खराब हो जाता है। इसे विरासत में मिलीयोपैथी या एमडी के रूप में भी कहा जाता है। यद्यपि यह स्नायविक डिस्ट्रॉफी विरासत में मिली शर्तों का एक समूह है, जो बचपन या वयस्कता में हो सकता है और वे बेकर स्नायु डिस्ट्रॉफी, एमरी-ड्रेइफस पेशी डिस्ट्रोफी, ड्यूसेन पेशीय विकृति, फैसिओस्केपुलोहिमेंरल स्नायु डिस्ट्रोफी, लिम्ब-कंठधारा पेशी डिस्ट्रोफी, मायोटोनिक डिस्ट्रोफी और मायोटोनिया हैं जन्मजात ये विभिन्न कारकों के आधार पर किस्म हैं। यद्यपि विभिन्न प्रकार के पेशीय डाइस्ट्रॉफी के लक्षण भिन्न हो सकते हैं, कुछ मांसपेशियों या मांसपेशियों के कुछ समूह प्रभावित हो सकते हैं पेशी में कमी के अलावा, मानसिक मंदता, मांसपेशियों के विकास संबंधी देरी और एक या अधिक मांसपेशियों के समूहों की कठिनाई, पलक झिलमिलाना, डरोउलिंग, लगातार...